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जीवाश्रय चिकित्सालय खुली आंखों का सपना

जीवाश्रय चिकित्सालय खुली आंखों का सपना जहाँ विश्वास हैं, वहीँ शक्ति हैं, वहीँ_जीत हैं और वही आपके सपने पुरे होते हैं । सन 2010 में जब तीन मित्रों की एक अनौपचारिक बैठक में जीवाश्रय संस्था का बीजारोपण किया तो एक संकल्प का भी जन्म हुआ जिसके लिए कहा जाता है कि संकल्प अपने लक्ष्यों को हासिल करने का एक दृढ़ निश्चय है। संकल्प लेने के लिए साहस और लग्न की जरूरत होती है। संकल्प सचमुच एक ऐसी राह है जो अनजानी बाधाओं और कठिनाइयों से भरी है। सिर्फ संकल्प से ही संभावनाएं उपलब्धियों में बदलती हैं और सपने हकीकत में बदलते हैं । ऐसा ही एक सपना देखा था तीन दोस्तों ने जिसका पहला पायदान 2021 के 75 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उद्घाटित हुआ । सपने का नामकरण किया जाए तो " जीवाश्रय चिकित्सालय "के रूप में उजागर हुआ । अति सुंदर प्रभावी पंक्तियां हैं - हर सपने को अपनी सांसों में रखो , हर मंजिल को अपनी बाहों में रखो , हर जीत आपकी है ,बस अपने लक्ष्य को अपनी निगाहों में रखो । पंक्तियों को सार्थक करने के सफर में जीवाश्रय संस्था अनेक बाधाओं के बावजूद 2010 से लगातार अपना कदम निरंतर आगे बढ़ा रही है।

जीवाश्रय संस्था ने निराश्रित मासूम पशुओं की चिकित्सीय सेवा का बीड़ा उठाया और 2011 से 2022 तक के लंबे सफर में अब तक एक लाख से ऊपर पशुओं का इलाज किया और निरंतरता की ओर अग्रसर है । पशुओं की चिकित्सा प्रक्रिया के दौरान एक पहल ने जन्म लिया और वह जीवाश्रय चिकित्सालय के रूप में सामने आया। अनुभवों से यह उद्देश्य जन्मा कि अब निराश्रित पशुओं का सड़क के किनारे इलाज करना कठिन ही नहीं अपितु उचित भी नहीं था किंतु परिस्थिति के अनुसार ही चिकित्सीय सेवा का कार्य जारी किया गया ।वर्तमान समय में एक ऐसे अस्पताल की स्थापना हुई जहां पशुओं के रोग एवं घावों की स्थिति को देखते हुए उन्हें भर्ती कर इलाज कराया जा रहा हैं। यह सत्य है कि सभी लोग एक दूसरे के साथ भावनात्मक और मधुर संबंध चाहते हैं। मानव जाति यहां पर सिर्फ आजीविका कमाने के लिए नहीं है वह यहां पर इसलिए है ताकि संसार को प्रचुरता में प्रेम ,आशा एवं सहयोग की उपलब्धि हो तथा वह भावनात्मक स्तर पर इस जगत को सुंदर बनाएं ,यह तभी संभव हो सकता है जब सभी संवेदनशीलता के साथ अपनी सामर्थ्य के अनुसार एक दूसरे का सहयोग करें । संवेदनशील मानव के सहयोग का एक प्रबल उदाहरण सामने आया , जिसने जीवाश्रय परिवार का खुली आंखों से देखा हुआ सपना साकार करने की यात्रा में अविस्मरणीय सहयोग दिया ।

सर्वप्रथम आदरणीय डॉक्टर रिचर्ड्स, उनकी माताजी एवं अर्धांगिनी रूपल जी का बहुत धन्यवाद जिन्होंने चिकित्सालय के लिए एक जमीन निशुल्क प्रदान की जो कि सपने की प्रथम सीढ़ी के रुप में स्थापित हुई । इमारत को चिकित्सालय का रूप प्रदान करने में जीव आश्रय परिवार की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही। देश के कोने कोने से तथा शहर के समस्त स्थानों से यथासंभव सहयोग पहुंचाया गया। चिकित्सालय की पूर्णता के पश्चात ,15 अगस्त 2021 में श्री प्रतीक यादव जी के कर कमलों द्वारा इसका उद्घाटन किया गया। चिकित्सालय को पूर्ण करने की यात्रा में कई उदार व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति मील के पत्थर साबित हुए । चिकित्सालय में चिकित्सा सेवा को निरंतर बनाए रखने में जीवाश्रय के पैरावेट टीम एवं डॉ मनीष जी की प्रमुख भूमिका है । खुली आंखों से देखे गए सपने का प्रथम पायदान पूर्ण हो चुका है ,सपने के दूसरे चरण में चिकित्सालय को विभिन्न विभागों में परिवर्तित करने की कड़ी शामिल है ,जिसके तहत श्वानों की बीमारियों के अनुसार भर्ती करने एवं चिकित्सा प्रदान करने की आवश्यकता को पूर्ण करना है । जीवाश्रय चिकित्सालय को सामर्थ अनुसार विभिन्न भागों में स्थापित किया जाएगा जैसे– डायग्नोस्टिक एंड थेरापीटिक सर्विस, एनेस्थीसिया, सर्जिकल सर्विस, इंटरनल मेडिसिन, रेडियोलॉजी, लैबोरेटरी, डाइटरी एंड बिहेवियर काउंसलिंग, इमरजेंसी केयर। सभी श्वानों को एक ही स्थान पर चिकित्सा देने में बहुत सावधानी एवं सतर्कता की आवश्यकता होती है ।विभिन्न प्रकार के रोगों से संबंधित अलग अलग विभाग होने से श्वानों की उत्कृष्ट श्रेणी की चिकित्सा संभव हो सकेगी । कहते हैं बड़े सपने बड़ी बड़ी मुश्किलें पार करने से पूरे होते हैं ,यदि साथ हो हौसलों का तो जल्द ही पूरे होते हैं । जीवाश्रय परिवार उन सभी उदारता से भरे व्यक्तियों का सदा आभारी रहेगा तथा आशा और हौसलों के साथ खुली आंखों से देखे गए सपने के दूसरे पायदान पर पैर जरूर रखेगा।

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