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पशु एक मनोचिकित्सक

पशु एक मनोचिकित्सक

मनोचिकित्सक को सरलता के साथ परिभाषित करें तो व्यक्ति के भावनात्मक समस्याओं एवं मानसिक तनाव को कम करने वाला व्यक्ति या जीव।
 

 मानसिक तनाव के विभिन्न पारिस्थितिक कारण हो सकते हैं ।मानसिक तनाव के कारण भावनात्मक समस्याएं या यूं कह लें व्यवहार संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं,  व्यक्ति उचित व्यवहार के मापदंडों को पूरा नहीं कर पाता । मानसिक तनाव से व्यवहार में परिवर्तन की गंभीरता बढ़ने से चिकित्सा की आवश्यकता होती है, जिसके लिए दवाएं , इंजेक्शन आदि कई प्रकार की वस्तुओं की आवश्यकता होती है जिसके लिए एक भारी मात्रा में शुल्क चुकाना पड़ता है ।

क्या ऐसा हो सकता है कि मानसिक तनाव से उत्पन्न होने वाली बीमारी हो ही ना ?

इसका उत्तर है "हां" ऐसा हो सकता है। स्थिति को पहले ही नियंत्रित किया जा सकता है ।

प्रीवेंटिव( रोग रोधी) का नाम आपने सुना होगा यह ऐसी दवाई होती हैं जो रोग से बचने के पूर्व भी खाई जाती हैं। इन सभी से निजात मिल सकता है इन सभी का एक उपाय है "पशु प्रेम "

पशु पक्षियों का उपचार में अलग ही स्थान है इनको पालने वाला या इनके साथ रहने वाले अति आनंद की अनुभूति प्राप्त करते हैं और मन से स्वस्थ महसूस करते हैं ,पशु पक्षियों का सहचार्य प्राप्त करना हमारी सुदीर्घ  परंपरा का अटूट हिस्सा है। कुछ लोग सुबह सुबह पक्षियों को दाना चुगाने जाते हैं ,पक्षी अत्यंत निकट आ जाते हैं और हथेली पर रखे दाने भी उठा लेते हैं यह आनंददायक क्षण आरोग्य प्रदान करने वाले होते हैं, इसका सबसे बड़ा उदाहरण वाराणसी ,इलाहाबाद आदि शहरों के घाटों पर साइबेरियन पक्षी का आना और लोगों का उनके बीच आनंद लेना है

पशुओं के प्रति प्रेम आकर्षण स्पष्ट करती है जहां प्रेम है वही आनंद है और जहां आनंद है वही उपचार है ।पशु पक्षियों के साथ रहने, उनकी सेवा एवं प्रेम करने से आनंद की  अनुभूति होती है जिससे शरीर में लाभदायक हारमोंस उत्सर्जित होते हैं जो हृदय आघात तथा अवसाद जैसी बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक होते हैं ।

 पशु पक्षी संवेदनशील भी कम नहीं होते पशु पक्षियों की संवेदनशीलता के कारण उनके सानिध्य में मनुष्य के भावनात्मक संतुलन को दृढ़ता मिलती है।
सर्वे के दौरान यह साबित हुआ है कि पशुओं के संपर्क में रहने से तनाव की स्थिति में कमी आती है यदि कोई व्यक्ति पशु पक्षियों को पालने में असमर्थ है  तो वह प्राकृतिक स्थानों में जाकर भ्रमण करता है ,कई बार चिकित्सक भी यही सलाह देते हैं ।हम जब भी उन्हें स्पर्श करते हैं या देखते हैं तो उनका रूप रंग उनकी क्रियाएं इतनी भोली और प्यारी होती हैं कि मन को बहुत शांति मिलती है और उस समय हमारी चिंता, दुख या किसी भी तरह का तनाव महसूस होना बंद हो जाता है और यही सबसे कारगर औषधि है

पशु की महत्ता और उसके अस्तित्व को लेकर लोगों में जागृति अपने आप पैदा हो रही है ,अभी इसमें वक्त लगेगा लेकिन इसकी शुरुआत बहुत सकारात्मक है, लोग खुद सामने आ रहे हैं पशु पक्षियों के प्रति उदारता, दया एवं करुणा समझकर व्यवहार करने के लिए ।

जीव आश्रय का यह उद्देश्य है कि पशुओं पक्षियों की सेवा के साथ-साथ वह एक ऐसा वातावरण स्थापित करें जहां सभी आकर अपने मन को शांत एवं ताजा महसूस करें और अपने जीवन में संतुलन के साथ उद्देश्यों को अंजाम दें।

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